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मज्म'उल बह्रैनबिस्मिल्लाहिर रहमानिर्रहीम
रिसाला-ए-हक़-नुमामुसन्निफ़
नोट - 22 नवंबर 1653 को जब कंधार में असफल होने के बाद हारा हुआ शहजादा दारा शुकोह लाहौर पहुंचा। दारा शिकोह तीन सप्ताह (दिसंबर 1653 के मध्य तक ) लाहौर में ही ठहरा। आगे चलकर होने वाली एक तवील सात दिनों की वार्ता मे जिन दो महान हस्तियों ने हिस्सा लिया वो हस्तियाँ थीं – शहज़ादा दारा शुकोह और बाबा लालदास बैरागी।पंजाब में बाबा लाल नाम के चार संत हुये हैं –
आंचे अंदर दिलम अयाँ गश्त:बर हमः ख़लक़ आँ निहाँ गश्ता
Sakeenat-ul-Auliya
दारा शिकोह
सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Rubaiyat-e-Dara Shikoh
2011अनुवाद
Safiinat-ul- Auliya
1853सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Sakeena-tul-Auliya
Dara Shikoh
क़ाज़ी अबदुस्सत्तार
1988नॉवेल / उपन्यास
महमूद अली
1999
1976नॉवेल / उपन्यास
Dara Shikoh Ki Raqqasa
माइल मलीहाबादी
Safinat-ul-Auliya
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
1900मुंशी नवल किशोर के प्रकाशन
1986तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Dara Shikoh Lecture Series (1978-79)
मुल्क राज आनंद
1979व्याख्यान
शैख़ निज़ामुद्दीन औलिया
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
1994जीवनी
Risala-e-Haq Numa
2013सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
ऐ तू अंदर हर जमाले रूनुमावै तू अंदर हर लिबासे आश्ना
मुसलमानाँ मरा दिल शाद साज़ेदज़े-बंद-ए-क़ैद-ए-ख़ुद आज़ाद साज़ेद
मन तुरा जूयाँ व तू हमराह-ए-मनअक़ल गश्त: रहबर गुमराह-ए-मन
मुसाफ़िर हर क़दर बाशद सुबुक-बारन-याबद दर सफ़र-ए-तस्दीअ'-ओ-आज़ार
दर्द-ए-ऊ रा साख़्तम दरमान-ए-ख़्वेशअज़ मय-ओ-नग़्मः कुनम सामान-ए-ख़्वेश
मी-कुनी तू ता'न बर किरदार-ए-माबा-ख़ुदा बायद सपुर्दः कार-ए-मा
मस्कन-ओ-मावा-ए-मा चूँ कु-ए-तुस्तआफ़्ताब-ओ-माहताबम रू-ए-तुस्त
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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